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Betul Court Decision: 9वीं की छात्रा ने बदनामी के डर से छुपाई रेप की बात, बच्चे के जन्म से हुआ खुलासा; आरोपी को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

Betul Court Decision: 9th class student hid the matter of rape due to fear of defamation, revealed after the birth of the child; The court sentenced the accused to life imprisonment

Betul Court Decision: 9वीं की छात्रा ने बदनामी के डर से छुपाई रेप की बात, बच्चे के जन्म से हुआ खुलासा; आरोपी को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
Source – Social Media
Betul Court Decision: 9वीं की छात्रा ने बदनामी के डर से छुपाई रेप की बात, बच्चे के जन्म से हुआ खुलासा; आरोपी को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

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Betul Court Decision: माननीय अनन्य विशेष न्यायालय, (पॉक्सो एक्ट) 2012 बैतूल (म.प्र.), ने 14 वर्षीय नाबालिग युवती का व्यपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म कर गर्भवती करने वाले आरोपी संदीप पिता जीवन मण्डल, उम्र-24 वर्ष, निवासी हीरापुर नं. 01, थाना चोपना, जिला-बैतूल (म.प्र.) को दोषी पाते हुए, धारा 5(जे)(पप)/6 पॉक्सो एक्ट समाविष्ट धारा 376(3),376(2)(एम) भादवि, धारा 3/4 पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास एवं 5,000रू. का जुर्माना, धारा 363 भादवि में 03 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1,000रू. के जुर्माने तथा धारा 506(भाग-दो) भादवि में 02 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1,000रू. के जुर्माने से दण्डित किया गया.

प्रकरण में म.प्र. शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी एस.पी.वर्मा के निर्देशन में वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी/अनन्य विशेष लोक अभियोजक ओमप्रकाश सूर्यवंशी द्वारा पैरवी की गयी और सहकर्मी वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी वंदना शिवहरे द्वारा प्रकरण की पैरवी में आवश्यक महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया गया.

भागकर ले गया था आरोपी – Betul Court Decision

घटना का विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 25-06-2021 को पीड़िता के पिता द्वारा आरक्षी केन्द्र चोपना में इस आशय की लिखित रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी पुत्री पीड़िता कक्षा 9वीं में पढ़ती थी. वह कभी बाइक से, कभी सायकल एवं कभी बस से स्कूल जाती थी. जब भी पीड़िता सायकल से स्कूल जाती थी, तब-तब ग्राम हीरापुर का रहने वाला संदीप मण्डल उसे परेशान करता रहता था

यह बात पीड़िता ने उसे पहले भी बताई थी. आज से लगभग 09 माह पहले उसकी पुत्री पीड़िता को आरोपी संदीप ने जबरदस्ती भगाकर अपने गांव हीरापुर नं. 01 ले गया था, तब वह आरोपी के घर जाकर उसकी पुत्री को वापस लेकर आया था.

बदनामी के डर से नहीं कराई रिपोर्ट – Betul Court Decision

उन्होंने बदनामी के डर के कारण पहले रिपोर्ट लेख नहीं करायी थी. आरोपी द्वारा उसकी पुत्री के साथ घटना करने से वह गर्भवती हो गयी थी, उसकी पुत्री ने भी डर के कारण घटना के संबंध में घर में नहीं बतायी थी, फिर दिनांक 19-06-2021 को रात में जब उसकी पुत्री पीड़िता को पेट में दर्द होने लगा, तो वह पीड़िता को पाढ़र अस्पताल ले जाने लगे, रास्ते में ही पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दे दिया, वे पीड़िता व बच्चे को घोड़ाडोंगरी अस्पताल में ले गये, जहां पीड़िता का तीन दिन तक इलाज चला.

बच्चा होने के बाद बताई सच्चाई – Betul Court Decision

आरोपी उसकी पुत्री पीड़िता को बहला-फुसलाकर भगाकर ले गया और उसके साथ जबरदस्ती गलत काम किया और किसी को बताने पर उसे जान से मारने की धमकी दी थी. मगर बदनामी के डर के कारण उसकी पुत्री पीड़िता ने उन्हें पहले घटना के बारें में कुछ नहीं बताया था. बच्चा होने के बाद उसकी पुत्री ने आरोपी द्वारा ग्राम हीरापुर नं.01 ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करने वाली बात बतायी थी, जिसके कारण ही वह गर्भवती हुई थी.

डीएनए रिपोर्ट में भी जुर्म साबित – Betul Court Decision

पीड़िता के पिता की उक्त शिकायत के आधार पर आरोपी संदीप मण्डल के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया, पूछताछ कर कथन लिये गये, 164 द.प्र.सं. के कथन कराये गये, साक्षियों के भी कथन लिये गये. घटना स्थल का नक्षा-मौका बनाया गया, पीड़िता की उम्र एवं जाति से संबंधी आवश्यक दस्तावेज प्राप्त किये गये.

आरोपी को गिरफ्तार किया गया, उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया. आरोपी, पीड़िता एवं उसके नवजात शिशु का ब्लड सेम्पल लिया जाकर प्रकरण में जप्तशु दा सेम्पलों को डीएनए जांच हेतु एफएसएल भेजा गया.

आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) बैतूल म.प्र. के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया. विचारण मे अभियोजन द्वारा पैरवी करते हुए पीड़िता एवं उसके परिजनों की साक्ष्य करायी गयी, जिसमें भी पीड़िता ने स्पष्ट रूप से बताया कि आरोपी द्वारा उसके साथ जबरदस्ती गलत काम (बलात्कार) किया गया, जिसके कारण वह गर्भवती हुई और उसने बच्चे को जन्म दिया. जिसका पिता आरोपी है. पीड़िता की बात का समर्थन पीड़िता के पिता द्वारा भी अपनी साक्ष्य में किया गया.

इसके साथ ही अभियोजन द्वारा डीएनए परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी, जिसमें पीड़िता के नवजात षिषु का जैविक पिता आरोपी को होना पाया गया है. जिससे यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी द्वारा ही पीड़िता के नाबालिग रहने के दौरान शारीरिक संबंध स्थापित किये गये थे, जिससे पीडिता गर्भवती हुई और उसने एक नवजात शिशु को जन्म दिया, जिसका पिता आरोपी है. अभियोजन का मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित पाकर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को दंडित किया गया.

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