Betul Samachar : जयस ने जिला प्रशासन को सौंपा 32 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन, एक माह में मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी

Betul Samachar : जयस ने जिला प्रशासन को सौंपा 32 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन, एक माह में मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी

बैतूल। आदिवासी समुदाय-अन्य वर्ग के आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक विकास, आदिवासियों की संस्कृति संरक्षण करने  सहित अन्य 32 सूत्रीय मांगों को लेकर जयस ने महामहिम राज्यपाल के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। इसके अलावा एक माह में 32 सूत्रीय मांगे पूरी नहीं होने पर धरने की चेतावनी भी दी है। जिला प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में जयस जिला अध्यक्ष संदीप कुमार धुर्वे ने बताया जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन जयस के बैनर तले 21 दिसंबर 2022 को रानीपुर भोपाली के ग्राम माथनी से संघर्ष यात्रा शुरू की गई।

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32 दिनों की जयस की संघर्ष यात्रा ने जिले के सभी 10 ब्लाकों के करीब 300 गांवो का भ्रमण किया। इन ग्रामों में रहने वाले आदिवासी समुदाय एवं अन्य वर्ग के लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, वहीं क्षेत्र का विकास नहीं होने के कारण पिछड़ा हुआ है, जिनमें विशेष रूप से आदिवासी समुदाय आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा है। जिलाध्यक्ष ने बताया जिले के सीमा क्षेत्र में लगे गांवों में अभी भी मूलभूत सुविधाएं नही मिल पा रही है, जबकि बैतूल अनुसूचित क्षेत्र के पाँचवी अनुसूची (संविधान के अनुच्छेद 244 ( 1 ) ) के अंतर्गत आता है।

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जहां पर आदिवासियों के अस्तित्व और अनुसूचित क्षेत्रों में उनकी भूमि रूढ़ी प्रथा और पारम्परिक ग्राम सभा की व्यवस्था है, जिन्हे संविधान के अनुच्छेद 13 ( 3 )क के तहत विधि का बल प्राप्त है। इसके बावजूद आदिवासी की जमीन और संस्कृति खतरे में है। इस सम्बंध में शासन द्वारा संवैधानिक अधिकार एवं उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में निर्णय दिये गये है।

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यह है जयस की 32 सूत्रीय मांग

जिला प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में जिला प्रभारी महेश शाह उईके ने बताया जिले के वन ग्रामों में निवासरत आदिवासियों को अधिकार पट्टा दिया जाए, अनुसूचित क्षेत्रो के शैक्षणिक संस्थानों में प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल में शैक्षणिक माध्यम के रूप में द्वितीय एवं तृतीय भाषा माध्यम गोंडी भाषा और कोरकू भाषा में रखा जाए।

अनूसूचित क्षेत्र जिलो में गोंड, कोयतूर एवं कोरकू भूमियां समुदाय के परम्परागत सांस्कृतिक पेनस्थलों देव स्थलों को चिंहित किया जाकर उनके नामान्तरण पूर्ववत् गोंडी भाषा-कोरकू भाषा में चिंहित किया जाए तथा उन्हें पेन स्थलों को समस्त राजस्व रिकार्ड एवं अन्य शासकीय रिकार्ड में उनके खसरा में तथा रकबा सहित अभिलेखित किया जाए।

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विगत 40-50 वर्षों के दौरान जिले में भी गैर आदिवासियों ने आदिवासी महिलाओं से विवाह सम्बंध बनाकर उन आदिवासी महिला पत्नियों के नाम से आदिवासियों की जमीन और जायजाद खरीदकर रजिस्ट्रियॉ कर ली गई है, उन्हें निरस्त करके पूर्ववत् जिन आदिवासी की जमीन-जायजाद थी उन्हें वापस किया जाए, आदिवासी क्षेत्रों में भू-अभिलेखों के ऑनलाइन करने की प्रक्रिया के दौरान रिकार्ड में हेरा फेरी की गई है, कई आदिवासियों के पैतृक मूल वारसानों के नाम के साथ गैर आदिवासियों के नाम और मंदिर या ट्रस्ट के नाम आदिवासी भू मालिकों के खसरा एवं सर्वे नम्बर में दर्ज करा दिये गये हैं।

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इस प्रकार की गई हेरा फेरी को दुरूस्त किया जावे और सम्बंधित दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाए। आदिवासी क्षेत्रों में शहरों के आस पास भू माफिया द्वारा आदिवासियों की जमीन पर अवैध कब्जा करके आदिवासी के नाम से क्रय / रजिस्ट्री करके प्लाट बेचने और खरीदने का काम भारी मात्रा में किया जा रहा है , इसे अभियान चलाकर चिंहित करके दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाए तथा वास्तविक भू – स्वामी आदिवासी को मालिकाना हक और मौके पर कब्जा दिलाकर वापस दिलाया जाए,  आदिवासी युवतियों का कोर्ट मैरिज प्रतिबंधित किया जाए,  आर्य समाज- गायत्री परिवार में आदिवासी युवतियों का विवाह प्रतिबंधित किया जाए

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आदिवासियों की भूमि पर संचालित क्रेशर, गिट्टी खदान के स्वामित्व की जांच कर  आदिवासियों को उनका भू- मालिक वापस दिलाया जाए,  आदिवासी अधिकारी-कर्मचारियों को कलेक्टर की अनुमति के बिना सभी बैंक द्वारा लोन दिलाया जाए,  आदिवासी किसानों को आधुनिक उन्नत खेती के लिए 90 प्रतिशत अनुदान के अंतर्गत उपकरण उपलब्ध कराए जाए,  आदिवासी युवकों को स्वरोजगार हेतु 90 प्रतिशत अनुदान देते हुए शासकीय गारंटी पर बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाए, आदिवासी क्षेत्रों में संचालित रेत खदानों कि ठेकेदारी का कार्य आदिवासियों को दिया जाए

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आदिवासी क्षेत्र में वृद्धावस्था-विधवा पेंशन की राशि आदिवासियों के लिए न्यूनतम 3 हजार प्रतिमाह की जाए,  आदिवासी क्षेत्र में नगर मुख्यालय जिला मुख्यालय पर पोस्ट मैट्रिक आवास अंतर योजना की राशि न्यूनतम 2 हजार प्रतिमाह की जाए,  आदिवासी क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति कार्य विभाग द्वारा बनाए गए सामुदायिक मंगल भवनों को सामाजिक संगठनों में हस्तांतरित किया जाए,  एससी-एसटी समुदाय के लिए बने एट्रोसिटी एक्ट 1989 को यथावत रखते हुए उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव ना किया जाए,  मध्यप्रदेश में महाराष्ट्र राज्य की तरह अंधश्रद्धा विरोधी कानून लागू किया जाए

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आदिवासी क्षेत्रों में पलायन को रोकने 250 दिन का रोजगार किया जाए, अनुसूचित क्षेत्रों में ट्राईबल सब प्लान का फंड आदिवासी जनप्रतिनिधियों की सहमति के आधार पर किया जाए, आदिवासी क्षेत्रों में स्थित राष्ट्रीय राजमार्गों पर बने टोल नाके को अनुसूचित क्षेत्रों में प्रतिबंधित किया जाए,  वर्तमान में पेशा एक्ट के अंतर्गत गठित समितियों को उनकी कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से संचालित करने गठित समितियों को प्रशिक्षण दिया जाए,  आदिवासी क्षेत्रों में स्थित अर्ध शासकीयजा-फाइनेंस बैंकों द्वारा ग्रामीण लोगों को समूह बनाकर लोन दिया जाता है और मनमाने तरीके से ब्याज वसूला जा रहा है ऐसे बैंकों पर तुरंत रोक लगाई जाने सहित अन्य मांगे शामिल है।

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